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क्या चुनाव आयोग अपनी खोई हुई साख वापस ला सकेगा ?

AGLI DUNIYA carajeevgupta.blogspot.in
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आखिरी चरण के मतदान संपन्न होने के साथ राजनीतिक पार्टियों का भविष्य तो आज ही तय हो जायेगा, लेकिन यह चुनाव अपने पीछे एक बड़ा सवाल छोड़कर जायेगा कि क्या चुनाव आयोग इन चुनावों मे अपनी खोई हुई साख को कभी वापस पा सकेगा या नही ?चुनाव आयोग की जैसी मिट्टी पलीत इस बार के लोकसभा चुनावों मे हुई है, ऐसी शायद आज़ाद भारत मे पहले कभी नही हुई ! ऐसा शायद इसलिये भी हुआ क्योंकि पिछले पांच सालों के दौरान सोशल मीडिया ने अपनी पकड मजबूत की है और लोग सूचनाओं के आदान प्रदान के लिये परंपरागत मीडिया यानि कि अखबार,पत्रिकाओं और टी वी चैनलों पर दिखाई जाने वाली प्रायोजित सामग्री पर ही निर्भर ना होकर इंटरनेट और सोशल मीडिया का भी जमकर उपयोग कर रहे हैं और लोगों की इसी बढ़ती हुई जागरूकता के चलते भारतीय चुनाव आयोग पूरी तरह बेनकाब हो गया है !

चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर चर्चा इस लेख का उद्‌देश्य नही है- उसके बारे मे मैं अपने दूसरे ब्लॉग -“चुनाव आयोग निष्पक्ष है तो यह धाँधली कैसी ?” मे पहले ही काफी विस्तार से लिख चुका हूँ ! यहाँ चर्चा का विषय सिर्फ यह है कि चुनाव आयोग अपनी इस खोई हुई गरिमा को दुबारा कभी वापस पा सकेगा या नही ? अभी हाल ही मे चुनाव आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की और उसमे अपनी कार्यप्रणाली पर सफाई देने की औपचरिकता भी पूरी की ! आम तौर पर चुनाव आयोग चुनावों के बीच मे इस तरह से प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित नही करता और सफाई नही देता-जो कुछ भी हुआ वह बेहद अजीब और अप्रत्याशित था ! अगर कोई वजह ना हो तो किसी संवैधानिक संस्था को इस तरह से सफाई देने के लिये अचानक प्रेस कान्फ़्रेंस ना बुलानी पड़े !

नरेन्द मोदी ने कमल के फूल का चुनाव चिन्ह दिखा दिया और चुनाव आयोग तुरंत हरकत मे आकर यह आदेश दे देता है कि आज शाम 6 बजे तक एफ आई आर दर्ज़ हो जानी चाहिये ! चुनाव आयोग की इस घटना का कोई विशेष संज्ञान भी नही लेता अगर चुनाव आयोग ने इतनी ही सख्ती,मुस्तैदी और समय सीमा की पाबंदी चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के सभी मामलों मे दिखाई होती ! हालत कुछ ऐसी हो गयी कि लोग सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग को जमकर लताड़ने लगे और जगह जगह ऐसे वीडियो अपलोड होने लगे जिनमे यह दिखाया गया था कि दूर दराज़ के इलाकों मे किस तरह से फर्ज़ी वोटिंग चुनाव आयोग की आँखों के सामने हो रही है ! क्योंकि चुनाव आयोग पोलिंग बूथ पर जनता को कैमरे नही ले जाने देता है, ऐसे सभी मामले तो सोशल मीडिया मे भी नही आ पाये होंगे ! लेकिन इस बात की सुगबुगाहट सभी जगह है कि दूर दराज़ के इलाकों मे जमकर फर्ज़ी वोटिंग हुई है !

मतदाता सूचियों से बड़े पैमाने पर नाम गायब होने और उन्हे शामिल ना किये जाने के मामले प़ूरे देश से आते रहे ! इस विषय पर चुनाव आयोग की तरफ से माफीनामा भी आया था लेकिन लोकतंत्र का गला घोटने वालों पर चुनाव आयोग ने कोई कार्यवाही की, इसकी कोई उम्मीद जनता को नही है ! गाज़ियाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से ही लाखों नाम मतदाता सूची से गायब होने और उनके शामिल ना होने की खबर मीडिया मे भी रिपोर्ट हुई थी-लेकिन उस पर कोई कार्यवाही आज तक नही हुई है ! खुद मेरे परिवार से तीन सदस्यों मे से दो सदस्यों के नाम मतदाता सूची मे शामिल नही किये गये है जिसके लिये मैने उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी को 5 बार और मुख्य चुनाव आयुक्त को एक बार लिखित शिकायत भेजी है-लेकिन कहीं कोई सुनवाई नही है !

बनारस मे मोदी के रोड शो को अनुमति ना मिलना और दूसरी पार्टी के नेताओं को अनुमति मिल जाना, राहुल गाँधी के अमेठी पोलिंग बूथ मे गैरक़ानूनी तरीके से घुसना और चुनाव आयोग द्वारा उसके लिये क्लीन चिट दिया जाना-आखिर क्या साबित करता है ? जनता अब बहुत अधिक जागरूक हो चुकी है और सब समझती है ! सवाल सिर्फ यही है कि अपनी इस अजीबोगरीब कार्यप्रणाली से चुनाव आयोग ने उस गरिमा को पूरी तरह से मिट्टी मे मिला दिया है जो एक संवैधानिक संस्था के रूप मे उसे मिलनी चाहिये ! चुनाव आयोग की यह अचानक खोई हुई गरिमा और विश्वसनीयता कभी निकट भविष्य मे वापस आ सकेगी, इस बात पर फिलहाल तो प्रश्न चिन्ह ही लगा हुआ है !

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