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मोदी की “सर्जिकल स्ट्राइक” से बौखलाया विपक्ष !

AGLI DUNIYA carajeevgupta.blogspot.in
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पाक अधिकृत कश्मीर मे घुसकर सेना ने जिस तरह से अभूतपूर्व सर्जिकल स्ट्राइक को सफलतापूर्वक अंज़ाम दिया है, उससे ना सिर्फ देश की सेना की बहादुरी की पूरी दुनिया मे चर्चा हो रही है, मोदी सरकार की उपलब्धियों मे भी चार चांद लग गये हैं, क्योंकि इससे पहले इस देश मे किसी और सरकार ने यह काम सेना को करने की इज़ाज़त ही नही दी थी. इससे पहले उड़ी हमले मे हमारे 18 वीर जवान शहीद हो गये थे और मोदी सरकार को विपक्ष तो विपक्ष, उनके अपनी पार्टी के समर्थक भी घेरने मे लगे हुये थे. इससे पहले कि विपक्ष उड़ी हमले को अगले साल होंने वाले 5 राज्यों के विधान सभा चुनावों मे भुना पाता, मोदी सरकार ने यकायक ही एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिससे सारा का सारा विपक्ष सकते मे आ गया और उसे अपनी रही-सही जमीन भी खिसकती दिखने लगी.

विपक्ष मे बैठे नेता तो इसी खुशफहमी मे मस्त थे कि उड़ी हमले को ही अगले चुनावों तक इस तरह खेंचकर ले जायेंगे ताकि इनकी डूबती चुनावी नैय्या किसी तरह पार हो जाये लेकिन मोदी सरकार ने “सर्जिकल स्ट्राइक” करवाकर जो “मास्टर-स्ट्रोक” लगाया तो सारा का सारा विपक्ष मानो औंधे मुंह गिर पड़ा और उस “सर्जिकल स्ट्राइक” पर ही सवालिया निशान अपने अपने तरीके से लगाने लगा. कोई नेता यह सफेद झूठ बोलता नज़र आया कि जब हमारी सरकार थी तो हमने भी सर्जिकल स्ट्राइक करवाई थी लेकिन उसका ढिंढोरा नही पीटा था. यह दुष्प्रचार ज्यादा नही चल सका और जब सेना के एक पूर्व DGMO विनोद भाटिया ने इस बात की पुष्टि कर दी कि हाल ही मे की गयी “सर्जिकल स्ट्राइक” इस लिहाज़ से ऐतिहासिक है कि स्वन्त्र भारत मे यह पहली बार अंज़ाम दी गयी है क्योंकि किसी और सरकार ने इस तरह की “सर्जिकल स्ट्राइक” करने का आज तक हौसला ही नही दिखाया.

कुछ विपक्षी नेताओं ने बड़ी बेशर्मी के साथ यह भी कहना शुरु कर दिया कि सर्जिकल स्ट्राइक का पूरा श्रेय सेना को मिलना चाहिये और मोदी सरकार उसका राजनीतिक फायदा ना उठाये. इन लोगों से कोई यह पूछे कि अगर यह सर्जिकल स्ट्राइक नही हुई होती तो विपक्षी लोग उड़ी हमले की असफलता के लिये मोदी सरकार को जिम्मेदार बताते हुये क्या राजनीतिक फायदा नही उठा रहे थे ? हमारी सेना तो हमेशा से ही सक्षम थी और उसके पराक्रम पर किसी भी देशवासी को लेशमात्र भी संदेह नही है- यह तो केन्द्र मे बैठी हुई सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है कि वह सेना को इस तरह का ऑपरेशन करने की इज़ाज़त दे या ना दे- मोदी सरकार ने राजनीतिक इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करते हुये एक ऐतिहासिक काम को सेना के जरिये अंज़ाम दिया और विपक्ष कह रहा है कि मोदी सरकार इसका राजनीतिक फायदा ना उठाये. मोदी सरकार कुछ गलत काम कर दे तो विपक्ष को पूरी आज़ादी है कि उसका राजनीतिक फायदा उठा ले लेकिन मोदी सरकार कोई बढिया काम कर दे तो विपक्ष चाहता है उसका फायदा मोदी सरकार को नही मिलना चाहिये.

यह ठीक है कि विपक्षी दल आज तक मोदी विरोध के लिये दुष्प्रचार की राजनीति करते आये हैं और उसमे उन्हे कभी कभी सफलता भी मिलती रही है. अख़लाक़ की मौत हालांकि उत्तर प्रदेश मे हुई थी और वहां समाजवादी पार्टी की सरकार थी और वहां की कानून व्यवस्था के लिये भी राज्य सरकार ही जिम्मेदार थी लेकिन विपक्षी दलों ने तथाकथित इतिहासकारों,साहित्यकारों,फ़िल्मकारों और समाजसेवियों से अवॉर्ड वापसी का नाटक इस तरह करवाया मानो खुद मोदी सरकार उस अपराधिक घटना के लिये जिम्मेदार हो. यह नाटक विपक्ष ने तब तक चालू रखा जब तक बिहार मे लालू यादव की सरकार नही बन गयी. रोहित वेमुला के मामले मे भी विपक्ष ने इसी तरह का दुष्प्रचार किया और उसे जबरन “दलित” बताने का जो सिलसिला हुआ, वह आज जाकर थमा है जब एक सरकारी जांच समिति ने इस बात की पुष्टि की है कि रोहित वेमुला के दलित होने का कोई प्रमाण अभी तक पेश नही किया गया है.

विपक्ष इसलिये घोर हताशा और निराशा मे है क्योंकि “सर्जिकल स्ट्राइक” के ऊपर उसका कोई दुष्प्रचार काम नही कर रहा है और दुष्प्रचार की अब तक जो कोशिश हुई भी है, उसमे विपक्षी नेताओं की किरकिरी ज्यादा हुई है. मोदी के अच्छे काम मे भी कमियां खोजने निकले विपक्षी नेता सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े करके जिस तरह से मोदी सरकार को उसका राजनीतिक लाभ ना लेने की बिना मांगी सलाह दे रहे हैं, क्या वे लोग यह बताएंगे कि अगर यह “सर्जिकल स्ट्राइक” सफल नही हुई होती, तो क्या यह लोग मोदी सरकार को घेरकर उसका राजनीतिक फायदा नही उठाते ? विपक्षी नेता शायद यह समझ रहे हैं कि हर छोटे बड़े मुद्दे पर राजनीति करने का हक सिर्फ उन्ही लोगों को प्राप्त है-सत्ताधारी दल के नेताओं को यह अधिकार नही है.

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