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कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है: नवाज़ शरीफ़

AGLI DUNIYA carajeevgupta.blogspot.in
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सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एक भारतीय पत्रकार जैसे ही अपने पहले से तय किये गये कार्यक्रम के अनुसार पाकिस्तान पहुँचा, उसकी मुलाकात पाकिस्तानी पी एम नवाज़ शरीफ़ से हो गयी और उसने बिना किसी लाग लपेट और संकोच के अपने अखबार के लिये पी एम नवाज़ शरीफ़ का इंटरव्यू लेना शुरु कर दिया :


पत्रकार : पी एम साहब, अब यह बताइए कि मोदी जी की “सर्जिकल स्ट्राइक” के बाद आपको कैसा लग रहा है और आप उसके बारे मे क्या कहना चाहेंगे.


नवाज़ शरीफ़ : देखिये “सर्जिकल स्ट्राइक” के बारे मे जो कुछ भी कहना है, वह भारत मे बैठे हमारे नुमाइंदे पहले से ही कह रहे है-मुझे उस सब से अलग कुछ और नही कहना है.


पत्रकार : नवाज़ साहब, भारत मे बैठे आपके नुमाइंदे तो यह कह रहे हैं कि यह “सर्जिकल स्ट्राइक” फर्ज़ी था और अगर यह सच है तो भारत सरकार इसका वीडियो क्यों नही दिखा देती….क्या आप भी उनकी इस बात से इत्तेफाक़ रखते है ?


नवाज़ शरीफ़ : देखिये पत्रकार महोदय, आप मेरी मजबूरी को समझिये-अगर इस विषय पर मैं खुद कुछ भी कहने की स्थिति मे होता तो क्या मुझे भारत मे बैठे अपने नुमाईंदों की सेवाओं की जरूरत थोड़े ही पड़ती- मेरे लिये तो एक तरफ कुआँ है और दूसरी तरफ खाई है-मतलब एक तरफ देश की सेना है और दूसरी तरफ देश की जनता है.अब जो कुछ भी वहां कहा जा रहा है, उसी को हमारे अखबार भी छाप रहे हैं और हमारे टी वी चैनलों पर भी वही सब कुछ दिखाया जा रहा है- उसी से आप भी काम चलाइए .


नवाज़ शरीफ़ के धर्म संकट को पत्रकार समझ गया और उसने अपने सवालो की दिशा बदलते हुये पूछा : अच्छा नवाज़ साहब, यह रह-रहकर आप “कश्मीर” का राग क्यों अलापते रहते हैं आप ?


नवाज़ शरीफ़ : पत्रकार महोदय, हम लोग राजनीति कर रहे हैं- अपनी कुर्सी हमे भी बचानी आती है. जब आपके देश के कई नेता अपनी कुर्सी हिलते हुये देखते हैं और “मोदी-मोदी” का राग अलापना शुरु कर देते हैं, तब आप यह सवाल उनसे क्यों नही करते हैं ?


पत्रकार : मतलब “कश्मीर” का राग आप अपनी कुर्सी बचाने के लिये अलापते हैं-कश्मीर को भारत से लेना आपका उद्देश्य नही है………


नवाज़ शरीफ़ : देखिये पत्रकार महोदय, सारी दुनिया जानती है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. हमारा उद्देश्य कश्मीर लेना नही है-कश्मीर ले लिया तो “कश्मीर समस्या” खत्म और हमारा कुर्सी के लिये किया जा रहा राजनीतिक खेल भी खत्म. लिहाज़ा मेरे थोड़े कहे का ही ज्यादा मतलब निकलने की कोशिश कीजिये और “कश्मीर” को एक समस्या ही बनी रहने दीजिये-इसी मे हम सब की भलाई है.


पत्रकार (खुश होते हुये) : मतलब आप यह तो मानते हैं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है.


नवाज़ शरीफ़ : देखिये आप पत्रकार लोगों को राजनीति बिल्कुल नही आती-हम जो कुछ भी मानते हैं, उसे अगर स्वीकार भी कर लेंगे तो जनता हमे कहीं का नही छोड़ेगी-यह पाकिस्तान की जनता है, भारत की नही. यह आपके देश मे ही संभव है कि लोग देश विरोधी  वक्तव्य देते रहें और सरकार और अदालतें उसका संज्ञान भी ना लें. हमारे खिलाफ तो एक पत्रकार ने भी लिख दिया तो हमने उसके पाकिस्तान छोड़कर जाने पर ही रोक लगा दी.


पत्रकार ने डरते हुये अब नवाज़ शरीफ़ से पूछा : देखिये मैं तो अपने अखबार के लिये आपका इंटरव्यू लेने आया हूँ और जो कुछ आपसे बातचीत हो रही है, उसी को अखबार मे छापा जायेगा-कहीं ऐसा तो नही, मुझे भी पाकिस्तान छोड़कर वापस भारत नही जाने दिया जाये ?


पी एम नवाज़ शरीफ़ इससे पहले की कोई जबाब देते, उनके पास रखे फोन की घंटी बज उठी और नवाज़ शरीफ़ बड़ी दयनीय हालत मे लगभग गिडगिडाते हुये कहने लगे-” नही शरीफ़ साहब, मैने तो हमेशा से ही हाफ़िज़ सईद जैसे लोगों का बहुत आदर सत्कार किया है. हम लोग दुनिया को यह बता देंगे कि एक आतंकवादी देश आखिर होता कैसा है. आप चिंता ना करें. हम उसी रास्ते पर चल रहे हैं. सब हमारे साथ हैं-भारत मे बैठे हमारे नुमाइंदे भी हमे पूरा सपोर्ट कर रहे हैं और उन्होने वहां पी एम मोदी का जीना हराम कर रखा है.” यह कहकर नवाज़ शरीफ़ ने फोन रखा और मेरी तरफ देखते हुये बोले-“बस पत्रकार महोदय, मुझे जरूरी मीटिंग मे कहीं जाना है-अब जो कुछ भी समझ सके हो उसी को छापकर अपने अखबार का काम चलाओ.”


( यह एक व्यंग्य रचना है और इसका किसी जीवित यह मृत व्यक्ति, संगठन या संस्था से कोई लेना देना नही है.)

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