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मोदी जी ने हमे कहीं का नही छोड़ा

AGLI DUNIYA carajeevgupta.blogspot.in
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आल इंडिया सेक्युलर पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष जैसे ही दुश्मन देश से गिफ्ट मे मिली अपनी चमचमाती कार से उतरकर अपने आलीशान बंगले मे घुसने लगे, पत्रकार ने उन्हे हमेशा की तरह पकड लिया और अपना पहला सवाल दाग दिया : नेताजी, यह आजकल देश मे क्या चल रहा है ?

नेताजी (झल्लाते हुये) : देश मे कुछ नही चल रहा है. सिर्फ आपका खबरिया टी वी चेनल चल रहा है.

पत्रकार : ऐसी बात तो नही है नेताजी. कुछ ना कुछ चलाते रहने की कोशिश तो आप लोग भी करते रहते हैं- पिछले दिनो आपने मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक के खिलाफ अभियान चलाया था, फिर आपने मध्य प्रदेश की जेल से भागे हुये 8 देशद्रोही आतंकवादी साथियों के मारे जाने पर अपना चिर परिचित दुख व्यक्त करते हुये मोदी सरकार को खूब कोसा और अब जब एक “सैनिक” ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली है, तो भी आप अपनी ही “कहानी” को चलाने का प्रयास तो काफी कर रहे हैं, उसमे अभी तक कितनी सफलता आपको मिल सकी है, उसे जानने के लिये ही मुझे संपादक जी ने आपके पास भेजा है.

नेताजी : देखो पत्रकार महोदय, मोदी सरकार जब से सत्ता मे आई है, हमारे साथियों के ऊपर भयंकर अमानवीय अत्याचार कर रही है- हम लोग इन सभी ज्यादतियों के खिलाफ राष्‍ट्रीय दानवाधिकार आयोग मे भी जाने की योजना बना रहे हैं.

पत्रकार : नेताजी आप अपना बहुमूल्य समय दानवाधिकार आयोग जाने मे क्यों जाया कर रहे हैं- राष्‍ट्रीय दानवाधिकार आयोग तो खुद ब खुद ही ऐसी सभी वारदातों का संज्ञान लेकर सभी तरह के दानवों के अधिकारों की रक्षा के लिये कृतसंकल्प है. अब तक तो उसने राज्य और केन्द्र सरकारों को नोटिस भी जारी कर दिये होंगे कि सरकार जबाब दे कि आखिर उसके रहते इन दानवों की हत्या कैसे हुई ?

नेताजी (पहली बार खुश होते हुये) : हाँ…हाँ…….यह बात तो आपने बड़े पते की बताई है. आखिर हम लोगों के पास पहले ही वक्त की काफी कमी है-हमारे कुछ काम को अगर राष्‍ट्रीय दानवाधिकार आयोग खुद ही निपटा रहा है तो यह हमारे लिये बहुत ही खुशी का विषय है.

पत्रकार : नेताजी आपके पास समय की कमी किसलिये है-आप तो सत्ता से भी बाहर हैं-फिर किस काम मे लगे हुये हैं आजकल ?

नेताजी : अरे अगले साल चुनाव होने वाले हैं- कोई मुद्दा हाथ लग नही रहा है-अपने सभी कार्यकर्ताओं को हमने इस काम पर लगाया हुआ है कि वे घर घर जाकर इस बात का पता लगाएं कि पिछले 60 सालों मे हमने जिन जिन लोगों को “अवॉर्ड” दिये थे, उसमे से कितने लोगों ने अभी तक अवॉर्ड वापस नही किये हैं.

पत्रकार : नेताजी, जिन लोगों ने पुरस्कार और अवॉर्ड वापस करने थे, वे सब तो बिहार चुनाव से पहले ही कर चुके हैं-अब यह तमाशा क्या दुबारा शुरु किया जायेगा ?

नेताजी : हाँ भई, पिछले 60-70 सालों से हम ऐसे ही राजनीति करते आये हैं-पहले अपने लोगों को “अवॉर्ड” दिलवा दो, फिर किसी आतंकी को फांसी हो जाये तो विरोध करने के लिये उन्ही “पुरुस्कारों” को वापस करवा दो. अब इस बार हमारे जो 8 साथी मध्य प्रदेश की जेल से भागते हुये शहीद हो गये है, उनका बलिदान व्यर्थ नही जायेगा. हम बचे हुये लोगों से अपने-अपने “अवॉर्ड” वापस करने के लिये कहेंगे और “अवॉर्ड वापसी” का यह सिलसिला तब तक चालू रहेगा, जब तक हम अगले साल होने वाले चुनाव को जीत ना लें.

पत्रकार : नेताजी, आप वास्तव मे धन्य हैं. मुझे अपनी स्टोरी बनाने के लिये आपसे काफी मसाला मिल गया है. अब चलते-चलते आपसे आखिरी सवाल पूछना चाहता हूँ.

नेताजी (फिर से खुश होते हुये) : हाँ……हाँ……..जरूर पूछो !

पत्रकार : आप लोगों की असली परेशानी क्या है ? मोदीजी कुछ नही करें तो आप 56 इंच के साइज़ पर ही संदेह करने लगते हो और मोदीजी अपने 56 इंच का साइज़ साबित करने के लिये कुछ कार्यवाही कर दें तो भी आपका विधवा विलाप शुरु हो जाता है……..

नेताजी (बहुत निराश-हताश और उदास स्वर मे) : देखो भई, हमारी पिछले 60 सालों से अच्छी भली दुकानदारी चल रही थी, मोदी जी ने अपनी दुकान खोलकर हम लोगों को कहीं का भी नही छोड़ा है……….बस इसी बात का गम हमे दिन रात सताये जा रहा है.

इससे पहले कि नेताजी के आंसू निकल आते, पत्रकार ने अपना बोरिया बिस्तर समेटकर वहां से चलने मे ही अपनी भलाई समझी.

( यह व्यंग्य रचना काल्पनिक घटनाओं औरपात्रों पर आधारित है और उसका वास्तविक जीवन के किसी भी व्यक्ति, संस्था या घटना से मेल खाना एक संयोग मात्र है.)

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