Menu
blogid : 18111 postid : 1334082

किसानों का ऐसा अपमान – नहीं सहेगा हिन्दुस्तान !!!

AGLI DUNIYA carajeevgupta.blogspot.in
AGLI DUNIYA carajeevgupta.blogspot.in
  • 88 Posts
  • 161 Comments

देश के कई हिस्सों में आजकल किसान आंदोलन या तो चल रहा है, या फिर विपक्षी राजनीतिक दल इस बात के संकेत दे रहे हैं कि जल्द ही अन्य राज्यों में इस तरह के किसान आंदोलन शुरू करके मोदी सरकार को एक बार फिर से घेरने की कवायद शुरू की जाएगी. विपक्ष के नेता पिछले ३ सालों के मोदी सरकार के सफल कार्यकाल से इस कदर बेहाल नज़र आ रहे हैं कि अब उन्हें “नकली दलित छात्र ” की तर्ज़ पर “नकली किसान ” भी बनाने पड़ रहे हैं ताकि अपने राजनीतिक कार्यकर्ताओं को किसानों का चोला पहनाकर उसे किसान आंदोलन का रूप दिया जा सके और मोदी सरकार को बदनाम करने के साथ साथ किसानों का भी अपमान किया जा सके.


खबर यह आ रही है कि मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन में किसानों ने एक मंदिर को भी तोड़ फोड़ करके आंदोलन के हवाले कर दिया. आप खुद सोचिये कि क्या कोई असली किसान ऐसा बेगैरत हो सकता है कि वह मंदिर जैसे धार्मिक स्थल पर हमला कर सके ? अगर मंदसौर में किसी मंदिर में भी आग लगाई जा रही है तो जनता यह समझ सकती है कि इसके पीछे किसका हाथ है. विपक्षी राजनीतिक दल जिस तरह से इन शर्मनाक घटनाओं को अंजाम देकर उसका ठीकरा किसानों के सर फोड़ने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं, उसकी उन्हें आने वाले समय में भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है,


आपको याद होगा कि अख़लाक़ का मामला हो या नकली दलित छात्र रोहिल वेमुला का मामला, विपक्ष ने हर बार मोदी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया है और हर बार मुंह की खाई है. सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी के खिलाफ जो दुष्प्रचार विपक्षी नेताओं ने किया था, उसका नतीजा यह हुआ कि इन लोगों का सूपड़ा ही साफ़ हो गया. लेकिन अपनी इन चालबाज़ियों और उनकी नाकामियों से कोई भी सबक न लेते हुए विपक्षी नेता इस बार नयी नवेली नौटंकी को “किसान आंदोलन” के नाम से पेश करके इस देश के मेहनती किसानों को बदनाम भी कर रहे हैं और उनका घोर अपमान भी कर रहे हैं. विपक्षी नेता पूरे देश की जनता को यह सन्देश देना चाहते हैं कि इस देश के किसान मंदिरों में आग लगा सकते हैं, अपने मेहनत से पैदा किये गए अनाज को सड़कों पर नष्ट कर सकते हैं, भूख हड़ताल कि नौटंकी करके जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर सकते हैं. हमारे देश के किसान ऐसे हरगिज़ नहीं हैं जो भूख हड़ताल पर बैठने की नौटंकी करें और “सागर रत्न” रेस्टोरेंट से अपने लिए लज़ीज खाना और बिसलरी का पानी मंगाए. जिस तरह का चाल, चरित्र और चेहरा इन किसानों का पेश किया जा रहा है, वह भारत के किसी किसान का नहीं हो सकता है, वह किसी हारी हुयी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्त्ता का ही हो सकता है.


भारत एक कृषि प्रधान देश है और विपक्ष को चाहिए कि वह किसानों का सम्मान  करना सीखे. देश के विपक्षी दलों के राजनेता अगर अब भी अपनी इन छिछोरी हरकतों से बाज़ नहीं आये और किसानों का इसी तरह अपमान करते रहे तो इन्ही किसानों के द्वारा यह लोग इतिहास बना दिए जाएंगे. मोदी सरकार को अगर घेरना भी है तो उसके लिए किसानों की नकली नौटंकी पेश करने की बजाये, यह बताने की हिम्मत करे कि इस देश में ६० सालों तक जब एक ही पार्टी या उसके सहयोगी राजनीतिक दलों का एकछत्र राज चल रहा था तो इन ६० सालों के बाद भी किसानों की हालात में कोई सुधार क्यों नहीं आया ?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh