Menu
blogid : 18111 postid : 1375348

‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की तरफ मोदी का एक और कदम

AGLI DUNIYA carajeevgupta.blogspot.in
AGLI DUNIYA carajeevgupta.blogspot.in
  • 88 Posts
  • 161 Comments

आज से लगभग ९ महीने पहले मार्च २०१७ में मैंने इसी मंच पर एक लेख लिखा था -“दिल्ली, हिमाचल और गुजरात में भाजपा की जीत लगभग तय”. दिल्ली में उस समय नगर निगम के चुनाव होने थे, जिनमें भाजपा को जीत मिली थी. हाल में ही हुए चुनावों के बाद गुजरात और हिमाचल में भी भाजपा ने अभूतपूर्व जीत दर्ज़ करके देश को कांग्रेस मुक्त बनाने की तरफ दो और कदम आगे बढ़ा दिए हैं.


modi2


यहां देखने वाली बात यह है कि भाजपा ने गुजरात में लगातार २२ साल सरकार में रहते हुए लगातार छठवीं बार यह जीत दर्ज़ की है. ऐसा नहीं है कि कांग्रेस और उनके समर्थकों ने मोदी और भाजपा को हराने के लिए अपनी कोशिशों में कोई कसर छोड़ी. कांग्रेस ने जातिगत आरक्षण से लेकर साम्प्रदायिकता और देशद्रोह के जहर को भी इन चुनावों में घोलने की नाकाम कोशिश की थी, जिसे गुजरात और हिमाचल की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया है.


पहले तो कांग्रेस ने विकास के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की बजाये विकास को पागल घोषित कर दिया और  गुजरातियों को जात-पात के आधार पर बांटने के लिए कुछ ऐसे लोगों से  जाति गत आधार पर गठबंधन कर लिया जिन्हे राजनेता की बजाय “ठग”  कहना ज्यादा उपयुक्त होगा. इससे भी जब कांग्रेस को जब बात बनती नहीं  दिखी तो राहुल गाँधी ने गुजरात में जितने भी हिन्दू देवी देवताओं के मंदिर थे, उन सबके दर्शन किए.


यह नाटकीयता इस हद तक बढ़ गयी कि उन्होंने एक तरफ तो अपने आप को “जनेऊ धारी हिन्दू”  घोषित कर दिया और वहीं दूसरी तरफ सोमनाथ मंदिर में “गैर-हिन्दू” वाले रजिस्टर में भी अपना नाम लिखवा दिया. देश और गुजरात की जनता इस नौटंकी को बहुत ध्यान से देख रही थी.


इसके चलते ही कांग्रेस के नेताओं को लगा कि अभी भी बात कुछ बन नहीं रही है. लिहाज़ा कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने कपिल सिब्बल और मणि शंकर अय्यर के कन्धों पर यह जिम्मेदारी डाल दी कि आगे का काम यह लोग करें. यह दोनों ही नेता अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझते हैं. लिहाज़ा कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर की सुनवाई को २०१९ के बाद किये जाने की मांग रख दी.


मणि शंकर अय्यर जी भी कहाँ पीछे रहने वाले थे. उन्होंने अपनी पार्टी के “मन की बात” जनता के सामने रखते हुए पी एम् मोदी को ” नीच आदमी” की पदवी से नवाज़ दिया. वे यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपने घर पर एक डिनर मीटिंग रखी जिसमे पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और पकिस्तान के कुछ नेता और पूर्व राजनयिक शामिल थे.


इस मीटिंग पर शायद किसी को भी कोई ऐतराज़ नहीं होता. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से इस मीटिंग को छुपाने का काम किया और बड़ी मुश्किल से यह कबूल किया कि हाँ यह मीटिंग हुयी थी, उसके चलते जनता ने इस पार्टी का रहा सहा  बैंड भी  बजा दिया और नतीजा सबके सामने है.


अगर देखा जाए तो भाजपा जहां एक तरफ प्रदेश में पिछले २२ साल के अपने काम और विकास के मुद्दे पर फोकस करना चाह रही थी, कांग्रेस लगातार इन मुद्दों से हटकर अन्य मुद्दों की तरफ भटक रही थी. अगर भाजपा ने पिछले २२ सालों में काम या विकास नहीं किया था, तो कांग्रेस को यह चाहिए था कि वह भाजपा को उस मुद्दे पर घेरे. लेकिन अगर कांग्रेस ने भाजपा को घेरा भी तो  जी एस टी और नोट बंदी जैसे मुद्दों पर घेरा.


इन मुद्दों पर पी एम मोदी देशवासियों को पहले ही कई बार सफाई दे चुके हैं कि यह दोनों ही फैसले देश हित में लिए गए मुश्किल फैसले हैं जिनसे कुछ लोगों को शुरू शुरू में परेशानी भी हुयी, लेकिन जिसे सरकार लगातार सुधारने का काम भी करती रही है. मोदी जी ने तो यहां तक बयान दिया है कि अगर देश हित में लिए गए मुश्किल फैसलों की वजह से अगर उन्हें सत्ता भी छोड़नी पड़े, तो उन्हें उसमे कोई परहेज़ नहीं है और वह देश हित में इस तरह के फैसले आगे भी लेते रहेंगे.


कांग्रेस और उसके सहयोगी जिस तरह से  अपनी संभावित हार से डर कर EVM के ख़राब होने की बात कर रहे थे, उस दलील के चलते जनता के मन में यह सवाल भी घूम रहा था कि इस तरह की मानसिकता वाले लोगों के हाथ गुजरात की सत्ता कैसे सौंपी जा सकती है.


आज की तारीख  में अगर कोई भी नेता EVM ख़राब होने की बात करता है तो उसे “मूर्खता” के अलावा और कुछ नहीं कहा जाएगा, क्योंकि इन्ही EVM से कई गैर-भाजपाई सरकारें भी चुनी जा चुकी हैं, जिन पर किसी ने सवाल नहीं उठाया है.उलटे चुनाव आयोग ने सभी नेताओं और पार्टियों को ओपन चेलेंज देकर EVM में  किसी भी तरह की गड़बड़ी साबित करने का मौका दिया था, लेकिन उस समय कोई भी नेता  या पार्टी अपने इस आरोप को साबित नहीं कर पाए थे.


आज देश के १९ राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और कांग्रेस और उसके सहयोगी जिस तरह की नकारात्मक राजनीति जारी रखे हुए हैं. उसे देखकर सिर्फ यही कहा जा सकता है कि देश को कांग्रेस मुक्त बनाने की दिशा में भाजपा ने एक नहीं, दो और कदम आगे बढ़ा दिए हैं.


अपने पिछले सभी लेखों में मैं यह कई बार लिख चुका हूँ कि कांग्रेस और उसके सहयोगी जब तक साम्प्रदायिकता, जात-पात और नकारात्मकता की अपनी नीतियों का त्याग नहीं करेंगे, भाजपा का विजय रथ इसी तरह से निर्बाध रूप से चलता रहेगा और मोदी जी का “कांग्रेस मुक्त भारत” का सपना जल्द ही पूरा हो जाएगा.


अगर कांग्रेस या किसी और गैरभाजपाई राजनीतिक दल को आज के बाद कोई चुनाव जीतना है, तो उन्हें सबसे पहले अपने पिछले ६० साल के कुशासन, भ्रष्टाचार और साम्प्रदायिकता के लिए देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए. जब तक ऐसा नहीं होगा, भाजपा का विजय रथ इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh